Monday, May 17, 2021

उसकी चालों में ऐसी लचक जैसे फूलों की डाली हिले उसकी आवाज़ में वो खनक जैसे शीशे से शीशा मिले

 



मेरे महबूब में क्या नहीं, क्या नही,मेरे महबूब में क्या नहीं

वो तो लाखों में है इक हसीं इक हसीं 


मेरे महबूब  में क्या नहीं, क्या नही,मेरे महबूब में क्या नहीं


भोली सूरत अदा नाज़नीं  नाज़नीं


मेरे महबूब में क्या नहीं, क्या नही,मेरे महबूब में क्या नहीं



मेरा महबूब इक चाँद है हुस्न अपना निखारे हुए

आसमान का फरिश्ता है वो रूप इंसान का धारे हुए

रश्क ए जन्नत है वो मेंहज़बीं मेंहज़बीं


मेरे महबूब में में क्या नहीं, क्या नही,मेरे महबूब में क्या नहीं



माहो अंजुम हो या कहकशा सबसे प्यारा है मेरा सनम

उसके जलवों में है वो असर होश उड़ जाए अल्लाह कसम


देख ले गर उसे तू कहीं  तू कहीं



मेरे महबूब मेंं में क्या नहीं, क्या नही,मेरे महबूब में क्या नहीं


मेरा महबूब है जानेमन महरू गुलबदन

मेरा दिलबर है ऐसा जवान हो बहारों में जैसे चमन

उसकी चालों में ऐसी लचक जैसे फूलों की डाली हिले

उसकी आवाज़ में वो खनक जैसे शीशे से शीशा मिले

उसके अंदाज़ हैं दिलनशीं भोली सूरत अदा नाज़नीन 


मेरे महबूब मे में क्या नहीं, क्या नही,मेरे महबूब में क्या नहीं


तेरे अफसानों में मेरी जान है झलक मेरे अफसानों की


दास्ताने हैं मिलती हुई अल्लाह हम दोनों परवानों की 


एक ही शम्मा हो न कहीं वो तो लाखों में है इक हसीं -


मेरे महबूब मेमें क्या नहीं, क्या नही,मेरे महबूब में क्या नहीं




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